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भारत के पहले आम चुनाव की कहानी | India first General Election

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15 अगस्त 1947 वो दिन और उसकी पहली किरण, वो किरण जो भारतवर्ष के हजारों साल के दिल्ली सल्तनत, मुगलिया हुकूमत और अंग्रेजों के सालों साल की गुलामी को चीर कर  देश के करोड़ों लोगों को एक नया उजाला दिया था – India first General Election

अब आजाद देश में नए भारत के सपने के साथ जनता ने एक नइ अंगड़ाई ली थी, लोगो की निगाहे विकास की और थी, समान अवसर की उम्मीदे हिलोरे मार रही थी और इसी के साथ 26 जनवरी 1950 को देश का सविधान भी लागु हो चूका था

लेकिन अब देश के नेतृत्वकर्ताओ के सामने कई समस्याए थी जैसे विश्वपटल पर देश की नई इमेज को रखना, गरीबी मिटाना, छुआछुत जैसे कलंक से निजाद पाना, वंचित तबगो को सरकारी सिस्टम के करीब लाना, देश को उच्च शिक्षा की और बढ़ाना, लेकिन इन सब से पहले एक और बड़ी समस्या थी वो थी “आम चुनाव कराना / India first General Election

👇👇 पहला आम चुनाव पूरी कहानी विडियो के रूप में जाने 👇👇

आजाद देश का पहला चुनाव सन 1951-52 में हुआ था, 25 अक्टूबर 1951 से लेकर  21 फरवरी 1952 तक, यह चुनाव 5 महीनों तक चला था जिसमे 17 करोड़ से ज्यादा मतदाताओ को देश में पहली बार वोट डालने का अधिकार मिला

लोकतंत्र के इस पहले महाकुम्भ में कुल 4500 सीटो पर चुनाव हुआ था जिसमे से लोकसभा की 489 सिट थी वही बाकि विधानसभाओ की सिट थी इस चुनाव में लोकसभा के लिए कुल 1874 उमीदवारो ने अपनी किस्मत आजमाई थी 

पहले आम चुनाव में 14 राष्ट्रीय पार्टी व 39 क्षेत्रीय पार्टियां  चुनाव मैदान में उतरी थी. जिनमें मुख्य थी कांग्रेस,  भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, सोशलिस्ट पार्टी, किसान मजदूर प्रजा पार्टी, हिंदू महासभा और भारतीय जनसंघ

अब यहां एक सवाल आता है इस पहले आम चुनाव में किस पार्टी को कितनी सीट और कितना वोट मिला था-  तो आइए इसकी भी पड़ताल कर लेते हैं

पहले आम चुनाव में सबसे ज्यादा वोट लगभग 45% कांग्रेस को मिला था और इसी वोट बैंक के साथ  कुल 364 सीट जीतकर  कांग्रेस ने प्रचंड बहुमत हासिल किया था, कांग्रेस के बाद दो नंबर पर ही थी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी जिसके खाते में 16 सीट आई थी, वही सोशलिस्ट पार्टी को 12 ,  किसान मजदूर प्रजा पार्टी को 09,  हिंदू महासभा को 4 सीटों पर जीत मिली थी 

इस चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी उभर कर सामने आई, और हो भी क्यों ना  क्योंकि एक और कांग्रेस पार्टी की आजादी के आंदोलन में मुख्य भूमिका रही थी तो वही,  जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री,  मौलाना आजाद, जैसे देश के दिग्गज चेहरे भी कांग्रेस के पास थे, अब बंपर जीत और उम्मीदों का बोझ लिए जवाहरलाल नेहरू देश के पहले निर्वाचित प्रधानमंत्री बने

लेकिन इस पहले आम चुनाव के बारे में लिख दिया जाए या पढ़ दिया जाए,  इतना आसान भी नहीं था यह चुनाव,  इस चुनाव में चुनाव आयोग के सामने बहुत परेशानी आई थी, इसमे सबसे बड़ी समस्या तो यह थी कि यह पहला ही चुनाव था और सब कुछ पहली बार ही करना था जैसे – मतदाता सुची बनाना, मतपेटिया बनाना, सुरक्षा व्यवस्था करना, लोगो को वोट के प्रीति जागरूक करना

लिहाजा निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव करवाने के लिए चुनाव आयोग का गठन किया गया यह इसलिए भी जरूरी था कि सरकार पर किसी भी प्रकार की मिलीभगत के आरोप ना लगे

       चुनाव आयोग द्वारा किए गए देश पहले आम चुनाव के दौरान या उससे पहले आने वाले कुछ महत्वपूर्ण समस्याओं पर एक नजर

  • चुनाव आयोग के सामने सबसे बड़ी समस्या थी महिला मतदाताओं का नाम मतदाता सूची में जोड़ना,  इसमें प्रॉब्लम यह थी उस समय महिलाओं को अपना नाम बताने में झिझक होती थी वह अपने नाम को किसी की बेटी या फिर किसी की पत्नी के रूप में खिलाना अधिक पसंद करती थी, यही वजह रही थी चुनाव आयोग द्वारा 80 लाख से अधिक महिलाओं का नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया था
  • चुनाव आयोग के सामने एक समस्या यह भी थी कि इस समय देश की साक्षरता दर सिर्फ 16% थी, अधिकांश मतदाताओं को पढ़ना लिखना नहीं आता था, इसलिए सबसे बड़ा सवाल था मतदाता अपने उम्मीदवार को वोट कैसे करेंगे — तो इसका भी समाधान निकाला गया और प्रत्येक उमीदवार के लिए अलग-अलग मतदान पेटी की व्यवस्था की गई,  इन मतदान पेटियों का रंग भी अलग अलग रखा गया था साथ ही उम्मीदवार का नाम व चुनाव चिन्ह आदि सभी जरूरी चीजें इस पर अंकित की गई ताकि मतदाता आसानी के साथ अपने उम्मीदवार को अपना वोट दे सके
  • चुनाव आयोग के सामने एक एक और बड़ी समस्या, देश के दुर्गम इलाकों में चुनाव करवाना भी था — जैसे पहाड़ी इलाके या कुछ दीपों के समूह है,  इस चुनाव के दौरान मतपेटियों को इन दुर्गम इलाकों तक पहुंचाने के लिए, कई नदियों पर खासतौर से पुलो का निर्माण करवाया गया था तो कही सड़के बनवाई गई वही हिंद महासागर के कुछ द्वीपों में मतदाता सूची पहुंचाने के लिए नौसैनिक पोतों का भी सहारा लिया गया था

पहले आम चुनाव को लेकर और भी कई प्रकार के किस्से कहानियां है , कई तथ्य है तो अनोखी जानकारियां है इसे भी आप मेरे Youtube Channel पर जाकर देख सकते हो

India first General Election

India first General Election FAQ

भारत में पहला आम चुनाव कैसे हुआ था या इस India first General Election चुनाव में चुनाव आयोग को किन किन समस्याओ का सामना करना पड़ा था … आदि से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण सवाल और उनके जवाब

भारत में पहली बार चुनाव कब हुआ था

भारत में पहले आम चुनाव 1951-52 में हुआ था। इसे पहले लोकसभा चुनाव के रूप में भी जाना जाता है। यह चुनाव 25 अक्टूबर 1951 से लेकर  21 फरवरी 1952 तक मतलब 5 महीनों तक चला था इस चुनाव में भारतीय नागरिकों ने अपने प्रतिनिधि चुनने के लिए वोट किया था और भारतीय संविधान के अनुसार लोकतंत्र की शुरुआत की गई थी।

भारत के पहले आम चुनाव का क्या परिणाम रहा था

देश के पहले आम चुनाव में कुल 4500 सीटो पर चुनाव हुआ था जिसमे से लोकसभा की 489 सिट थी वही बाकि विधानसभाओ की सिटे थी इस चुनाव में लोकसभा की 489 सीटो में से कांग्रेस ने 364 साईट जीती थी, कांग्रेस के बाद दो नंबर पर थी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी जिसके खाते में 16 सीट आई थी वहीं सोशलिस्ट पार्टी को 12, किसान मजदूर प्रजा पार्टी को 09,  हिंदू महासभा को 4 सीटों पर जीत मिली थी

भारत में पहला चुनाव कब हुआ था

आजाद देश का पहला चुनाव सन 1951-52 में हुआ था, 25 अक्टूबर 1951 से लेकर  21 फरवरी 1952 तक, यह चुनाव 5 महीनों तक चला था जिसमे 17 करोड़ से ज्यादा मतदाताओ को देश में पहली बार वोट डालने का अधिकार मिला

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