Loan Write Off आरबीआई द्वारा जारी किया गया एक टूल है जिसका इस्तेमाल बैंक अपनी बैलेंस शीट को क्लीन अप करने के लिए करते हैं, इसे खराब ऋण या NPA के मामलों लागु किया जाता है तो आज इस आर्टिकल में इससे सम्बंधित सभी सवालो को जानेंगे
लोन राइट ऑफ क्या होता है
Loan लेने वाला व्यक्ति या संस्था अपने लोन की EMI लगातार 3 महीने तक Pay नहीं कर पाता है तो बैंको द्वारा उस लोन को को एनपीए मतलब नॉन परफॉर्मिंग एसेट मान लिया जाता है लेकिन एनपीए में भी अगर लोन की वसूली नहीं होती है तो बैंक उस Loan को डूबा हुआ मानकर बट्टे खाते में डाल देते है इसे ही Loan Write Off करना कहते हैं
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लोन वेवर ऑफ क्या है
लोन वेवर ऑफ का मतलब कर्जमाफी से होता है, लोन वेवर ऑफ तब किया जाता है जब कर्ज लेने वाला, किसी भी हाल में लोन की राशि चुकाने में असमर्थ हो, ऐसे में उसका पूरा लोन माफ़ कर दिया जाता है इसे Loan Waiver कहा जाता है
Loan Write Off kya hai
Loan Write Off शब्द की शुरुआत लोन से ही होती है, अब लोन के बारे में तो आप सब जानते ही होंगे, जब कोई भी बैंक किसी एक व्यक्ति या संस्था को लोन देता है और उसके बाद वह व्यक्ति या संस्था उस लोन की किस्त को 90 दिनों तक Pay करने में सक्षम नहीं होता है तो बैंक इस लोन को एनपीए में दिखाते हैं मतलब एक ऐसा लोन जो अब बैंक को प्रॉफिट नहीं दे रहा है
अब यहां पर बैंक के पास उन loan को रिकवर करने के कई ऑप्शन होते हैं, जैसे – गारंटर के जरिए व्यक्ति या संस्था पर दबाव बनाना, कोर्ट द्वारा लीगल कार्यवाही करना, गिरवी रखीगई प्रॉपर्टी की नीलामी करना
ऐसे कई प्रकार के हथकंडे होते हैं जिनका बैंक अपने लोन का पैसा वसूलने के लिए यूज करती है लेकिन फिर भी कई बार ऐसा होता है की बैंक अपने लोन की रिकवरी करने में सफल नहीं हो पाते है तब बैंको द्वारा इस इस प्रकार के NPA Loan के लिए Loan Write Off का का यूज किया जाता है
जब बैंक किसी भी लोन को राइट ऑफ करती है तो इसका मतलब यह नहीं होता है की लोन को माफ कर दिया गया है, राइट ऑफ में बैंक लोन को अपनी बैलेंस शीट से हटा देती है लोन रिकवरी की प्रोसेस जारी रहती है लेकिन भविष्य में जब ऐसी परिस्थिति आती है कि वे उस लोन को वापस रिकवर करने में सक्षम हो जाता है, तो बैंक अपने बैलेंस शीट में उस लोन को वापस ऐड करता है जिसे Write back कहा जाता है
बैंक लोन राइट ऑफ के फायदे
बैंकों द्वारा Loan Write Off करने से बैंकों को काफी बड़ा फायदा होता है जैसे
- किसी भी लोन की EMI 3 महीने तक पे नहीं होने पर वह एनपीए में चला जाता है और NPA में जाने के बाद वह लोन अमाउंट बैलेंस शीट में दिखाई देने लगता है लेकिन राइट ऑफ होने के बाद वह लोन बैलेंस शीट से हट जाता है इसका फायदा यह होता है की बैंक की बैलेंस शीट साफ-सुथरी दिखाई देती है
- लोन राइट ऑफ दूसरा फायदा यह है बैंकों को लोन के ऊपर जो टैक्स पे करना होता है अगर लोन राइट ऑफ कर दिया जाए तो यह टेक्स्ट पे नहीं करना होगा और बैंकों को कुछ फायदा मिल जायेगा
बैंक लोन राइट ऑफ के नुकसान
बैंकों द्वारा लोन को Loan Write Off करने से बैंकों को तो कोई ज्यादा नुकसान नहीं होता है लेकिन इसका असर ग्राहक या फिर संस्था पर जरूर पड़ता है जैसे –
- जब कोई भी बैंक अपने लोन को राइट ऑफ करता है तो वह सबसे पहले सिविल को रिपोर्ट करता है इससे होता यह है उस ग्राहक का सिबिल स्कोर काफी ज्यादा डाउन चला जाता है
- इसका दूसरा बड़ा नुकसान यह होता है कि उस ग्राहक के लिए भविष्य में किसी भी प्रकार के लोन का रास्ता बंद हो जाता है
- Loan Write Off का मतलब यह नहीं है की अब आपका लोन माफ हो गया है यह सिर्फ बैंक की बैलेंस शीट से हटता है लोन रिकवरी की प्रोसेस जारी रहती है लोन पे करना होता है
कर्ज माफ़ी और राइट ऑफ में क्या अंतर है
Loan Write Off
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क्या बैंक लोन राइट ऑफ में सरकार द्वारा लोन माफ किया जाता है
लोन राइट ऑफ मैं सरकार द्वारा लोन माफ नहीं किया जाता है बल्कि बैंक इस लोन को डूबा हुआ मानकर अपनी बैलेंस शीट से हटा देती है लेकिन रिकवरी की प्रोसेस जारी रहती है अगर बैंक इस लोन को रिकवर करने में सक्षम हो पाता है तो इस लोन को फिर से राइट बैक कर दिया जाता है