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कुलधरा गांव की वास्तविक कहानी | Real story of Kuldhara Village

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Kuldhar एक रहस्य भरा गांव, जो राजस्थान के धोरो में बसा हुआ था, आबाद था, साहसी था, अभिमानी था, धन धान्य से भरपूर था, तो उत्तरी भारत का एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र था – फिर भी ये गांव एक ही रात में खाली हो गया, रहस्य ये की आज तक पता नहीं चला की वो हजारों लोग गए तो कहा गय✍ यह भी जाने 👉 अपना व्यापार कैसे बढ़ाए

कुलधरा गांव की असली कहानी

कहानी सुरु होती है आज से कोई 200 वर्ष पहले, बताया जाता है की श्रावण मास की पूर्णिमा, शुक्रवार का दिन था, उस दिन जैसे जैसे सूर्य ढल रहा था कुलधरा के लोगो की बैचेनी बढ़ रही थी, ये संध्या इस गांव के लिए, सामान्य नहीं होने वाली थी, आज यहां रहने वाले लोगों को एक दूभर फैसला लेना था या तो आज की रात इस गांव के लोगों को अपना स्वाभिमान खोना पड़ता या फिर कई गिंदगिया
लिहाजा गांव के पंच सरपंच दोपहर से ही गांव के पास ही बने अपनी कुल देवी के मंदिर में इक्कठा होना सुरु हो गए थे, सैकडो लोगों ने कई सुझाव रखे पर सहमती ना बनने पर आखरी फैसला गांव के मुखिया के नाम रखा गया, ये निर्णय लिया गया की मुखिया का जो भी आदेश होगा, वो सर्वोपरी होगा और मुखियाजी का आदेश आया हम हमारे स्वाभिमान को बचाएंगे, ये गांव छोड़कर चले जायेंगे…
कहते है देखते ही देखते पूरा गांव खाली हो गया, वीरान हो गया, उजाड़ हो गया और आश्चर्य ये हजारों लोग कहा गए कोई नहीं जानता

लोगों ने कुलधरा क्यों छोड़ा

अब यहा सवाल की आखिर उस दिन कुलधरा गांव के लोगों के साथ क्या हुआ था, की वे लोग अपना सब कुछ छोड़ कर रातों रात पलायन कर गए
कुलधरा में हुए इस घटना की पड़ताल के लिए हमे चलना होगा आज से 800 वर्ष पहले, माना जाता है की कुलधरा गांव को 13वी शताब्दी के आस पास पालीवाल ब्राह्मणों ने सरस्वती नदी के किनारे बसाया था. जो की जैसलमेर से 18 किलोमीटर दूर है
यह पालीवाल ब्राह्मण पाली क्षेत्र से निकलकर जैसलमेर आए थे और जैसलमेर के समीप कुलधारा गांव बसाया, कहते है ये लोग अपने समय में अन्य दूसरे कबीलों या समाजों से काफी ज्यादा विवेकशील थे, इसका अंदाजा वहा बने घरों को देखकर भी लगाया जा सकता है

Kuldhara Village

कहा जाता है की 18वी सदी के मध्य कुलधरा गांव अपने विकास, वैज्ञानिक सोच, व्यापार व नए नए यूनीक आइडिया के लिए अपने आसपास के कबीलों में काफी ज्यादा प्रसिद्ध होने लगा था,
यह है वह समय था तब कुलधरा गांव राजा सालीम सिंह के अधीन था, कहा जाता है सालीम सिंह एक क्रूर और अत्यारा शासक था, चुकी Kuldhara गांव के लोग काफी ज्यादा मेहनती और पैसे वाले थे इसलिए यह राजा इन पर नए-नए कर लगाकर परेशान करता था

कहा जाता है एक दिन यहाँ के दिवान यानि राजा, इस Kuldhara गांव से होकर कही जा रहे थे इसी वक्त उनकी नजर इस गांव के पंडित की लड़की पर पड़ी, कहते है की पंडित की लड़की काफी सुन्दर थी जिसकी सुंदरता को देखकर राजा भी मोहित हो गया और उस लड़की से शादी करने का इच्छा जाहिर की

कई दफा Kuldhara गांव वालो को शादी के लिए प्रसताव भेजे गए लेकिन गांव वालो ने मिलकर उस लड़की की शादी उस राजा के साथ ने साफ मना कर दिया, जब बार प्रस्ताव भेजने पर भी गांव वाले नहीं माने तो राजा सालिम सिंह ने आखरी बार श्रावण मास की पूर्णिमा को उस लड़की को राजा के महल में भेजने का संदेशा भेजा, पर अबकी बार साथ में उनका प्रस्ताव ना मानने पर अगले दिन गांव पर सेना द्वारा हमला करने की चेतावनी भी दि गई

Kuldhara Village

Kuldhara गांव के लोगो के लिए यह कठिन समय था उनके पास दो ही विकल्प थे या तो अपनी बेटी को बचाएं या गांव को बचाएं , इस कठिन  समय में इस गांव के लोगो ने यहा के 84 गाँवों के लोगो ने एक बैठक की. इस बैठक में निर्णय लिया गया की किसी भी हालत में गांव की बेटी को दीवान सालिम सिंह को नहीं दिया जाएगा और सभी लोगों ने मिलकर 84 गाँवो को खाली करने का फैसला किया देखते ही देखते 84 गाँव वीरान हो गये 

ऐसा माना जाता है की गाँव छोड़ते वक्त पालीवाल ब्राह्मणों ने कुलधरा को श्राप दिया था की इस दिन के बाद इस गांव में कोई नहीं रह पाएगा, आस पास के लोगो के बताते है इस उसके बाद कई बार यहाँ कुछ लोगों ने  बसने की कोशिश की पर वो सफल नहीं हुए 

2013 में भुत प्रेत पर काम करने वाली इंडियन पैरानोर्मल सोसायटी के 30 विशेषज्ञों की टीम ने Kuldhara गांव जाकर रात भर चांज की थी. 

रात गुजारने के बाद एक स्थानीय समाचार एजेंसी को दिए बनाया में विशेषज्ञों की टीम ने इस बात पर सहमति जताई की कुलधरा गांव में कुछ असामान्य जरुर है

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Kuldhara Village FAQ

कुलधारा का राजा कौन था

एक समय था तब Kuldhara गाँव वीरान नहीं बलकी आबाद हुआ करता था, कुलधरा के आसपास के 84 गाव जो पालीवाल ब्राहमणों ने 13वी सदी के आसपास बसाए थे. वो 18वि सदी आते आते अपनी सोच, विचारधारा व व्यापार में काफी आगे आ चुके थे, यह वही समय है जब Kuldhara वीरान हुआ था इस समय यह गाव यहाँ के दिवान सालिम सिंह के अंतर्गत आता था और उसी के अत्याचारों के परेशान होकर यहाँ के लोग गाव छोड़कर चले गए थे

कुलधारा गांव कहां है

Kuldhar गाँव एक प्राचीन गाँव है जो कई सदियों से वीरान था जिसे अब एक भारतीय ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर / प्रमुख पर्यटन स्थल में विकसित किया जा रहा है। इस गाँव का इतिहास यहाँ के लोगो द्वारा इस को रातो रात छोड़ कर चले जाने और भुतिया गांव के रूप में जाना जाता है जिसके पीछे कई रहस्य हैं। Kuldhara गाँव राजस्थान के जैसलमेर जिले के समीप पश्चिमी हिस्से के धोरों के मध्य स्थित जिसकी जैसलमेर से दुरी लगभग 18 किलोमीटर है।

कुलधरा गाँव खाली क्यों हुआ था

Kuldhara गाँव के खाली हो जाने का कारण एक रहस्य है और कई किस्से और कथाएं इससे जुड़ी हैं, लेकिन इसका निर्धारित एक स्थानीय कारण नहीं है जिसे इतिहासकार ने सामर्थ्य से पुष्टि दी है हालांकि एक सामान्य मान्यता है कि इसका संबंध साम्राज्यिक बर्बरता और आर्थिक दुर्बलता से जुड़ा है।

कुलधरा गांव के लोग कैसे थे

पाली क्षेत्र से निकले पालीवाल ब्राह्मणों ने जैसलमेर क्व समीप 84 गांव बशाए थे कुलधरा इनमें से एक था यहाँ के लोग काफी ज्यादा मेहनती और रईस थे, कुलधरा 971 घरों का गाव था इस गांव को इतने वैज्ञानिक तरीकों से बसाया गया था की हड्डिया जला देने वाली गर्म हवाओ व गर्मी में भी ये ठंडे रहते है. इन लोगों का वेद और शास्त्रों का भी भरपूर ज्ञान था

क्या हम कुलधरा जा सकते है

कुलधरा गाँव आज भी पर्यटन स्थल के रूप में खुला है, और आप इसे देखने के लिए जा सकते है यहाँ आपको गांव के पुराने रहस्यों, इतिहास और इसको छोड़े जाने के पीछे के कारणों के बारे में जानकारी जान सकते हो

कुलधरा की कहानी क्या है

Kuldhar गांव की कहानी एक रहस्यमय और वीरान पड़े पुराने गांव के रूप में जानी जाती है, इसमें कई किस्से कहानियां और अनुपम गतिविधियां शामिल है माना जाता है कि Kuldhara गांववाले एक दिन अचानक गांव छोड़कर चले गए थे जिसके अनेक कारण माने जाते हैं जैसे आर्थिक दुर्बलता, ब्राह्मण बंधन और राजा सालीम सिंह के उत्पीड़न व कर बोझ को मुख्य माना जाता है

कुलधरा का खजाना

Kuldhara गांव के खजाने को लेकर कई कहानियां प्रचलित है कहा जाता है कि कुलधरा गांव कई सैकड़ो सुरंगो पर बसा हुआ गांव है इन सुरंगों से यहां के लोग व्यापार करते थे और इन्ही सुरंगों में अपनी धन दौलत छिपा कर रखते थे, हालांकि वैज्ञानिक शोध में इसके कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं लेकिन कुलधरा गांव की बसावट, उनका रहन-सहन और गांव में बने मकानों को देखकर यह तो समझा जा सकता है कि यहां के लोग उस जमाने में भी काफी धन्नी हुआ करते थे

कुलधरा बावड़ी का रहस्य

Kuldhara गाव के लोग 18वी सदी में भी काफी वैज्ञानिक सोच रखते थे और इसका एक नमूना गांव में बनी बावड़ी भी है यह बावड़ी काफी गहरी है, जिसको पत्थरो से बनाया गया है जिसमे दीवारों से पानी निकलता था साथ ही बरसात का पानी भी इसी बावड़ी में इक्कठा होता था जिसका प्रयोग गाँव वाले 12 महीने पिने के लिए करते थे. वर्तमान में Kuldhara गांव में इस बावड़ी को सबसे ज्यादा डरावनी जगह माना जाता है

देश का भुतिया गांव कोनसा है

देश में जैसे खुबसूरत पर्यटक स्थलों की कमी नहीं है उसी तरह देश में कई जगह एसी भी है जहा लोग दिन के उजाले में जाने से भी डरते है, और इन्ही में से एक गावं राजस्थान के जैसलमेर जिले से 18 किलोमीटर दूर Kuldhara गांव जो 200 वर्षो से उजाड़ पड़ा है

कुलधरा में रात को इन्शान क्यों नहीं रुक सकते

Kuldhar गांव आध्यात्मिक शक्तियों के कब्जे में है, पर्यटन स्थल में तब्दील हो चुके कुलधरा गांव में घूमने आने वाले पर्यटको को आज भी यहाँ अद्रश्य लोगों की आहट सुनाई देती है, यहाँ रात को महिलाओं के बात करने की आवाज, चूड़िया व पायल खनकने की आवाज सुनाई देती है. दिल्ली से रिसर्च करने के लिए आई पैरानोर्मल सोसायटी की टीम ने भी Kuldhara गांव में कुछ असामान्य गतिविधिया महसूस की थी

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Kuldhara Village

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