join

अपने ग्राहक को जानो | व्यापार बढ़ाने के 7 ट्रिक Your Customer

Spread the love

सामने हो मंजिल तो रास्ता ना मोड़ना
जो मन में है वो ख्वाब ना तोड़ना
हर कदम पर मिलेगी कामयाबी तुम्हें
बस सितारे छूने की चाहत में जमीन ना छोड़ना

एक रिपोर्ट के अनुसार 74% बिजनेस अनुभव के आभाव और स्केलिंग की कमी कारण असफल या फ़ैल हो जाते है Your Customer

अपने व्यापार या वस्तु तक ग्राहक को लाने या फिर उस ग्राहक में उस वस्तु को खरीदने के लिए रूचि जाग्रत करने के लिय एक बिजनेसमैन को कई समस्यों का सामना करना पड़ता है तो आज आपको इस आर्टिकल में कई ऐसे मारवाड़ी ट्रिक सिखायेंगे जो आपके व्यापार, बिजनेस या दुकानदारी को काफी ज्यादा बढ़ा देगा

किसी भी व्यवसाय में तीन घटक होते हैं

  • एक सेवा प्रदाता (व्यापारी या बिजनेसमैन )
  • दूसरा ग्राहक
  • इन दोनों को जोड़ने वाली वस्तु या सेवा

इन सब में जितनी अधिक प्रगाढ़ता होगी जितना अधिक समन्वय होगा उतना ही व्यवसाय मजबूत होगा। इसलिए किसी भी सेवा प्रदाता के लिए ग्राहक की संतुष्टि सर्वोच्च प्राथमिकता लिए हुए होती है भारतीय संस्कृति में व्यापार वाणिज्य की धूरी ग्राहक को माना गया है और ग्राहक के संदर्भ में कहा गया है कि… 👉 भारत का सबसे सुंदर गांव
“ग्राहक भगवान होता है।”

इसलिए हर व्यापारी, वाणिज्य की धूरी ग्राहक को पहचानने, उसके प्रवृतियों को जानने, उन प्रवृतियों के अनुसार व्यवहार करने और अंतिम रूप से ग्राहक की संतुष्टि को समर्पित होने तक, जाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातों को समाहित करते हुए एक मानक निर्णय तक पहुंचने की कोशिश करते हैं।

Your Customer

Your Customer

जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं और सुविधाओं पर दृष्टिपात करें तो पाते हैं कि रोटी कपड़ा और मकान तो मनुष्य की प्राथमिक आवश्यकताएं हैं ही इसके पश्चात शिक्षा स्वास्थ्य और रोजगार द्वितीयक आवश्यकताए है और सर्वोत्कृष्ट प्राथमिकताओं में न्याय, सुरक्षा और सम्मान आता है।

ऐसे में कोई व्यक्ति इन आवश्यकताओं के सोपानों तक क्रमिक रूप से पहुंचने की कोशिश करता है और किन्हीं पैरामीटर्स तक पहुंच कर सफल होता है जो उसकी उपलब्धियों के पैमाने नजर आते हैं। वह इन सब तक पहुंचने के लिए किन्हीं वस्तु और सेवा प्रदाताओं पर निर्भर रहता है। ऐसे में सेवा प्रदाता की भी नैतिक और व्यवसायिक जिम्मेदारी बन जाती है कि वह ग्राहक की प्रवृतियों को पहचानकर उसके मुताबिक़ व्यवहार दर्शाएं। 👉 रहस्य पाक पनडुब्बी के साथ भारत ने क्या किया था

ग्राहक और सेवा प्रदाताओं के बीच संबंध के निर्धारक तत्वों की बात करें तो पाते हैं कि इसके निर्धारक तत्व अनेक है जैसे

  • ग्राहक जिस इलाके, जिस समाज में रहता है वहां की खाद्य प्रवृतियां यानी खान-पान की परिस्थितियां निर्धारित करता है यदि वह ठंड के इलाके में रहता है तो गर्म तासीर के खाद्य पदार्थ जैसे मांस मछली अंडे शराब और गर्म मसाले आदि की मांग होगी तो यदि वह गर्म इलाके में रह रहा है तो इनसे हटकर खाद्य पदार्थ उसकी मांग के हिस्से होंगे।
  • इसी तरह उसका पहनावा भी उसकी भौगोलिक परिस्थितियों से निर्धारित होते हैं यदि वह ठंड वाले इलाके में रहता है तो काले रंग के ऊनी और चमड़े से बने वस्त्र और कंबल स्वेटर आदि उसकी मांग के विषय बनेंगे तो वहीं उष्ण कटिबंधीय इलाकों में / समुद्र तटीय इलाकों में सफेद या हल्के रंग के कपड़े मांग के विषय होंगे।
  • ठीक ऐसे ही ग्राहक जिस धर्म संप्रदाय वर्ग से ताल्लुक रखता है तो उसी के अनुसार उसकी वेषभूषा, खान-पान और जीवनशैली के विभिन्न मुद्दे जुड़े होंगे ऐसे में ग्राहक की मांग भी उसी के अनुरूप ही होगी

ऐसे में बाजार भी उसी ऱगत के मुताबिक सजेगा और चलेगा यानी स्थान, समय, परिस्थिति के अनुसार बाजार की प्रवृत्तियां बदलती रहती है और ग्राहक व्यवसायी के बीच वस्तु और सेवा के विषय भी बदलते रहते हैं। जैसे बरसात के समय रेनकोट, छतरियां, तिरपाल आदि बिकेंगे तो सर्दियों में स्वेटर, कोट, ब्लेजर, मफलर, टोपी आदि बिकेंगे और ऐसे ही हलवाई की दुकान में पकवानो का मीनू भी बदलेगा यानी बाजार आवश्यकताओं के अनुसार ही सजता है इसे जबरन नहीं सजाया जा सकता।

शहर और गांव के अनुसार भी ग्राहक व्यवसायी संबंध निर्धारित होते हैं जैसे शहरों में रह रहे एकल परिवारों, नौकरी पेशा से जुड़े लोगों में खाना बनाने के आलस्य और समयाभाव के चलते वे रेडीमेड भोजन चाहने लगे तो वहां जोमैटो स्वीगी जैसी कंपनियों ने दस्तक दी और सफल भी रही लेकिन ये कंपनियां गांव देहात में असफल ही होगी।

शहरों में एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचने के लिए लगने वाले समय को बचाने के लिए ओला, उबर जैसी कंपनियों ने दस्तक दी उन्हें पता था कि शहरों में लोगो के पास स्थान के अभाव में पर्सनल वाहन का न होने के साथ साथ बाहर से आने जाने वालों के लिए गंतव्य तक पहुंचने के लिए परिवहन सुविधाओं को समर्पित एक सेवा प्रदाता एजेंसी के रूप में अपने आप को रखा और एक हद तक सफल भी रहे।
इन कंपनियों ने ग्राहकों को मांग सप्लाई के सिद्धांत के अनुसार परिवहन लागतों को पीक सीजन व पीक टाइम के सिद्धांत से बढ़ाकर मुनाफा कमाया तो ऑफ सीजन में ऑफर देकर ग्राहकों को ललचाया भी ताकि भविष्य का स्थाई ग्राहक बनाया जा सके।

इसी के अनुसार ही जब लोगों के हाथों में फीचर फोन के स्थान पर स्मार्ट फोन पहुंचा तो तकनीक की दुनिया के उस्तादों ने इसको ही अपने मार्केटिंग का स्थान बना डाला, सबसे पहले उन्होंने गूगल बाबा के जरिए सर्च प्रवृतियों को पहचाना फिर लोगों की भावनाओं के मुताबिक ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म तैयार किए और फ्री शिपिंग के लालच के साथ एक ट्रैंड बनाया और धीरे-धीरे दुनिया में एक काल्पनिक बाजार स्थापित किया जो किसी भी बाजार से बड़ा और प्रभावी रहा । इसी का परिणाम रहा कि आप और हम अमेजोन, फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियों से शॉपिंग कर रहे

तकनीक और विज्ञान के सहारे बदल रही दुनिया ने नई किस्म की बाज़ार प्रवृतियों को जन्म दिया है जिसके अनुसार यदि किसी ने अपने आप को बदल लिया तो वह टिकेगा अन्यथा बाजार उसे बाहर का रास्ता दिखलाने में देर नहीं करेगा।

अब ग्राहक को स्मार्ट मार्केट की जरूरत है चाहे वह ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म हो या फिर परम्परागत बाजार हो…

ग्राहक को साल के 365 दिन और दिन के अधिकतर समय यानी सोने के अलावा 15 से 18 घंटे सेवा प्रदाता की खुली एक्सेस चाहिए। बाजार में ऑफलाइन दुकान सालभर दिन के 15-18 घंटे खुली दुकान के प्रति विश्वास रहेगा और ग्राहक का वहा ज्यादा जुड़ाव रहेगा।

इसके अलावा ग्राहक सेवा प्रदाता यानी दुकानदार के व्यवहार से भी टिका रहता है। यदि सेवा प्रदाता अपने ग्राहक की प्रवृतियों के अनुसार उसकी मांग के मुताबिक बड़ी ही सरलता सहजता से सहृदय बात करते हुए व्यापारिक आत्मीय संबंध बनाता है तो ग्राहक का विश्वास बढ़ता है और वह लगातार उससे जुड़ा रहने का प्रयास करेगा।

वहीं यदि वस्तु या सेवा की खराबी पर सेवा प्रदाता / बिजनेसमैन गंभीरता से समाधान की ओर बढ़ता है तो इससे ग्राहक का आकर्षण लगातार बढ़ेगा, केवल माल बेच लेना ही दुकानदारी नहीं है ग्राहक का विश्वास बनाए रखना ही एक मात्र व्यवसायिक जिम्मेदारी है जो किसी व्यक्ति का बाजार में लंबे समय तक टिके रहने की गारंटी होगी।

वैसे ग्राहक भगवान का रूप होता है इसलिए उसके बारे में सीधे सीधे आंकलन करना बेमानी होगा। अच्छा इसी में है कि भले ही पैसा कम क्या ले लेकिन व्यापार वाणिज्य व्यवहार की साख सर्वोच्च प्राथमिकता पर रहे, अपने हितों से पहले ग्राहक के हित रहे तो व्यापार वाणिज्य की गतिशीलता रफ़्तार से बढ़ेगी।

व्यापार बढ़ाने के 7 ट्रिक

  • बाजार की स्थिति पर लगातार नजर रखे
  • ग्राहक सेवा को प्रार्थमिकता दे
  • निश्चित लक्ष्य निर्धारित करे
  • अपनी टीम का विस्तार करे
  • व्यापार संचालन में सुधार करते रहे
  • थोक खरीद में छूट जरुर रखे
  • ऑनलाइन प्रचार करते रहे

ये भी जाने….👇👇

👉हावड़ा ब्रिज का इतिहास A to Z
👉कहानी सबसे ज्यादा बार हार कर जितने वाले इंसान की
उम्मीद है की उपर्युक्त जानकारी के लिए यह आर्टिकल हेल्पफुल साबित हुआ है आपके सुझाव और कमेंट सादर आमंत्रित है इसी प्रकार की जानकारीयो को वीडियो के रूप में जानने के लिए हमारे युटुब चैनल Click Here का विजिट करें,  शुक्रिया
Rate this post

Leave a Comment

error: Content is protected !!