जोशीमठ– धार्मिक दृष्टि से, आध्यात्मिक दृष्टि से, सामरिक दृष्टि से और पर्यटन की दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण है, जो अब अपने उम्र के आखिरी पड़ाव पर खड़ा है तो आज इस आर्टिकल में जानेंगे जोशीमठ के वह 5 मुख्य कारण जिसकी वजह से जोशीमठ आज धंस रहा है, टूट रहा है, दरक रहा है रहा है. और यहां के मूल निवासी पलायन करने के लिए मजबूर है Joshimath Sinking
जोशीमठ में क्या हुआ
2 जनवरी को मध्य रात्रि के समय जोशीमठ पहाड़ के नीचे से पत्थर चटकने जेसी तेज आवाजें सुनाई दी गई थी, गांव के लोगों ने घरो से बाहर आकर देखा तो सब कुछ ठीक था तो गाव के लोग फिर वापस जाकर सो गए, सोचा कोई जंगली जानवर होगा लेकिन सुबह देखा तो उनके घरों में दरारें आ चुकी थी, दरारे भी छोटी नहीं काफी बड़ी और निरंतर बड़ी ही होती जा रही है इसका और ज्यादा अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जोशीमठ से बद्रीनाथ जाने वाली सड़क भी काफी जगह से टूट चुकी है धस चुकी है
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जोशीमठ की स्थिति
जोशीमठ उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है यह जिला हेडक्वार्टर से 50 किलोमीटर दूर एक पहाड़ की ढलान पर बसा हुआ ग़ाव है जंहा 2011 की जनगणना के अनुसार 3898 परिवार के साथ कुल जनसंख्या 16700 और अब तक इसमे काफी बढ़ोतरी भी हो चुकी है जोशीमठ चीन की सीमा से मात्र 100 किलोमीटर पहले हैं मतलब जोशीमठ को देश का पहला गांव में आ जा सकता है और आखिरी गांव भी
- जोशीमठ से बद्रीनाथ की दूरी मात्र 45 किलोमीटर है
- जोशीमठ से तपोवन की दूरी मात्र 15 किलोमीटर है
- जोशीमठ से औली की दूरी मात्र 16 किलोमीटर है
- जोशीमठ से श्री हेमकुंड साहिब की दूरी 37 किलोमीटर है
- जोशीमठ वैली ऑफ फ्लावर की दूरी मात्र 17 किलोमीटर है
जोशीमठ में अब क्या स्थिति है
जोशीमठ एक अतिसंवेदनशील क्षेत्र है जहां पर संवेदनशीलता तो पहले से ही बनी हुई थी लेकिन अब खतरा बढ़ता जा रहा है स्थिति यहां तक आ पहुंची है कि जोशीमठ और यहां के मूल निवासियों का अस्तित्व काफी ज्यादा खतरे में है. अभी की स्थिति की बात करे तो मकानों की दीवारों में दरारे आ रही है, मकानों की छते भी टूट रही है, कई मकान टेड़े हो चुके है, मकानों का फ़र्स धस चूका है, घरो में अपने आप कही से भी पानी निकल आता है काफी लोग इस कड़ाके की ठंड में अपने ही घरों के बाहर सोने को मजबूर है इसलिए कि कहीं रात्रि में घर गिर ना जाए. यह दरारे सिर्फ मकानों में ही नहीं खेतों में सड़कों पर हर जगह दिखाई दे रही है और लगातार चौड़ी होती जा रही है मोटी होती जा रही है
जोशीमठ के लोग क्या चाहते हैं
जोशीमठ के लोग चाहते हैं कि जिन घरों में दरारे आ चुकी है ऐसे घरों को चिन्हित किया जाए और उन लोगों को दूसरी जगह शिफ्ट किया जाए, ऐसा नहीं है कि ऐसा हो नहीं रहा है सरकारों – प्रशासन द्वारा लोगों को दूसरी जगह शिफ्ट भी किया जा रहा है लेकिन संख्या का अनुपात बहुत कम इसलिए लोगों को हमेशा डर रहता है कि कभी भी इनके घर टूट सकते हैं और इनकी जान पर बन आएगी
- NTPC द्वारा चलाये जा रहे तपोवन विष्णुगाड हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट को स्थाई बंद किया जाये
- चारधाम योजना के लिए बनाई जा रही बाईपास सड़क को बंद किया जाये
- यहाँ के लोगो के लिए सुव्यवस्थित पुनर्वास और मुहावजे का परबंध हो
जोशीमठ क्यों डूब रहा है
जोशीमठ एक लैंडस्लाइड की ढलान पर बसा हुआ शहर है जो एक अनस्टेबल पहाड़ है, वैज्ञानिको के अनुसार इसका निर्माण ग्लेशियर द्वारा लाई गई मिट्टी से हुआ है जिसमे चट्टानें कम और मिट्टी ज्यादा है मतलब भोगोलिक दृष्ठि से ये कमजोर पहाड़ है और मानव निर्मित कारणों ने इसे और ज्यादा कमजोर कर दिया है जैसे- बढ़ती जनसँख्या, मकानों कोपारंपरिक शैली से बदल कर सीमेंट कंक्रीट से बनाना, भारी निर्माण, ड्रेनेज व सीवर सिस्टम का ना होना, अत्यधिक खनन व भारी विस्पोट करना आदि
जोशीमठ पर मिश्रा कमेटी की रिपोर्ट
जोशीमठ में इस वक्त गम और बेचैनी का मंजर है लेकिन अब सर पीटने से क्या फायदा क्योंकि लगभग 46 साल पहले 17 सदस्यों की एक कमेटी ने जोशीमठ को लेकर एक रिपोर्ट में आगाह किया था- यह रिपोर्ट थी मिश्रा कमेटी की रिपोर्ट, तो आइए जानते हैं इसके महत्वपूर्ण बिंदु चाहते हैं
- मिश्रा कमेटी के अनुसार जोशीमठ की भौगोलिक अस्थित है
- अलकनंदा नदी के किनारे पर हो रहे कटाव को रोकने के लिए सीमेंट ब्लॉक बनाने का सुझाव भी था
- सीवरेज सिस्टम को सुधारने व बारिश के पानी के रिसाव को रोकने के लिए इसके पक्के निर्माण का सुझाव भी दिया था
- मिश्रा कमेटी ने जोशीमठ में भारी निर्माण कार्य, ढलानों पर कृषि, पेड़ों की कटाई पर प्रतिबंध लगाने का सुझाव दिया था
जोशीमठ धंसने के मुख्य 5 कारण
तपोवन विष्णुगाड हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट
जोशीमठ से थोड़ी दूरी पर तपोवन में NTPC (National Thermal Power Corporation) जो यहाँ अपने 520 मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए 20 साल से काम कर रहा, एनटीपीसी धौली गंगा का पानी नीचे लाने के लिए तपोवन से हेलंग तक 12 किलोमीटर लंबी एक सुरंग / टनल बना रही है इस टनल की खुदाई एक साइड से 2 किलोमीटर और दूसरी साइड से 6 किलोमीटर हो चुकी है कुल मिलाकर 8 किलोमीटर काम हो चुका है 4 किलोमीटर की खुदाई अभी भी बाकी है
एनटीपीसी ने टनल की खुदाई के लिए जो टनल बोरिंग मशीन (TBM) लगाई थी, बताया जा रहा है कि यह टीबीएम मशीन इस टनल के अंदर फस गई है इस मशीन ने उस समय पहाड़ में एक भुग्रभिये वाटर स्रोत को डेमेज कर दिया जिससे पानी का रिसाव सुरु हो गया. जोशीमठ के लोगो का यह भी आरोप है की NTPC द्वारा TBM को निकालने के लिए लिए एक विस्फोट किया गया मशीन तो निकली नहीं लेकिन यहां से मिट्टी धसना शुरू हो गई होगी बताया तो यह भी जा रहा है पिछले साल तपोवन में बादल फटने से जो सैलाब आया था उसका पानी इस टनल में हुआ था इस विस्फोट की वजह से वह पानी पहाड़ के अंदर चला गया और मिट्टी को गिला करके पहाड़ धंसा रहा है
सड़कों का निर्माण
वैसे तो सड़क किसी भी क्षेत्र के विकास की प्रथम सीढ़ी होती है पर पहाड़ी क्षेत्रों में यह मुसीबत लेकर भी आती है यहां पर सड़कों को पहाड़ों की ढलान को काटकर बनाया जाता है जिससे पहाड़ और ज्यादा खड़े हो जाते हैं जिससे पहाड़ो के दरकने या ढहने का खतरा हमेशा बना रहता है
जोशीमठ के लोगो का भी यही कहना है की चारधाम सड़क परियोजना को लेकर एक और नई सड़क बनाई जा रही है जिसके लिए जोशीमठ के पहाड़ के तलहटी को लगातार काटा जा रहा है सड़कों के निर्माण के लिए बड़े-बड़े विस्फोट किए जा रहे है और इन विस्फोटों से चट्टाने अंदर तक कमजोर हो जाती है
ग्लेशियर वाला पहाड़
जोशीमठ एक लैंडस्लाइड की ढलान पर बसा हुआ शहर है जो एक अनस्टेबल पहाड़ है, वैज्ञानिको के अनुसार इसका निर्माण ग्लेशियर द्वारा लाई गई मिट्टी से हुआ है जिसमे चट्टानें कम और मिट्टी ज्यादा है मतलब भोगोलिक दृष्ठि से ये कमजोर पहाड़ है,
अक्सर एसे पहाड़ो पर भारी निर्माण नहीं किया जा सकता लेकिन जोशीमठ में लगातार निर्माण होता रहा अब चाहे वो मकानों का निर्माण हो, होटलों का निर्माण हो या सड़को का. इन सब कारणों ने इस जगह को और ज्यादा अनस्टेबल कर दिया है
ड्रेनेज सिस्टम का अच्छा ना होना
ड्रेनेज सिस्टम का कमजोर होना भी इसकी एक बड़ी वजह है यहां की नालियां सुव्यवस्थित नहीं है कहीं-कहीं तो स्थिति यह है की नालियों का पानी चलते चलते अचानक गायब हो रहा है अब जाहिर है कि जो पानी गायब हो रहा है वह इसी पहाड़ के अंदर जा रहा है पानी अंदर जाएगा मिट्टी में नमी होगी और उसका धीरे धीरे कटाव होगा और मिट्टी में कटाव होगा तो पहाड़ का ऊपर का मुहाना भी धीरे-धीरे नीचे की ओर खिसकेगा
सिर्फ ड्रेनेज सिस्टम ही नहीं सीवर सिस्टम का ना होना भी एक बड़ी वजह हो सकती है, जोशीमठ में सीवर सिस्टम नहीं है अगर कहीं पर है भी तो वह घरों से कनेक्ट नहीं है इसलिए यहां के लोग परंपरागत सीवर का यूज करते हैं जिससे पहाड़ खोखले हो गये है
अलकनंदा नदी का तेज बहाव
जोशीमठ के धंसने की एक वजह है जोशीमठ शहर से निकलने वाली अलकनंदा नदी का बहाव, इस नदी के तेज बहाव के कारण जोशीमठ पहाड़ की तलहटी धीरे-धीरे कट रही है और पहाड़ नीचे की ओर धंस रहा है
जोशीमठ में सरकार व प्रशासन के सामने यह स्थिति दोधारी तलवार की तरह है क्यों की एक और देश को बिजली उपलब्ध करवाने व चीन सीमा तक सड़क पहुचाने के लिए बड़े प्रोजेक्ट चलाना जरुरी है वही दूसरी और जोशीमठ के लोगो को इस त्रासदी से बचाना
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NTPC kya hai … ?
NTPC (National Thermal Power Corporation Limited) एक भारतीय सरकारी कंपनी है जो थर्मल पावर प्लांट की स्थापना, निर्माण, संचालन और कन्सल्टेशन का काम करती है। यह भारत की सबसे बड़ी थर्मल पावर उत्पादक कंपनी है और नेशनल गठबंधन के अंतर्गत स्थापित किया गया था।
जोशीमठ के ताजा हालत क्या है
जोशीमठ और यहां के मूल निवासियों का अस्तित्व काफी ज्यादा खतरे में है. अभी की स्थिति की बात करे तो मकानों की दीवारों में दरारे आ रही है, मकानों की छते भी टूट रही है, कई मकान टेड़े हो चुके है, मकानों का फ़र्स धस चूका है, घरो में अपने आप कही से भी पानी निकल आता है काफी लोग इस कड़ाके की ठंड में अपने ही घरों के बाहर सोने को मजबूर है