Jagat Mama एक इंशान, जिसने शिक्षा व मानवता को ही, जीवन समर्पित कर दिया. उसी पर अपना सब कुछ न्योछावर किया. जी हा बात कर रहे है जगत मामा की जिन्होंने अपना सारा जीवन और सारी संपति विधार्थियों के नाम कर दी, आज इस आर्टिकल में Jagat Mama के जीवन परिचय के बारे में जानेंगे
जगत मामा का जीवन परिचय
01/07/1938 नागौर जिले के जायल के नजदीकी गाव राजोद में नानुरामजी छोड़ – मांगी देवी छोड़ के घर एक बेटे का जन्म हुआ और नाम रखा गया पूर्णाराम. जिस परिवार में जगत मामा का जन्म हुआ वह परिवार जाट जाती की गोत “छोड़” परिवार था इसलिए उनके नाम के आगे सरनेम “छोड़” लगाया गया
Jagat Mama का परिवार
Jagat Mama चार भाई बहनो में सबसे छोटे भाई थे इसलिए ये सुरु से ही माता पिता और भाई बहिनों के लिये लाड़ले थे दुर्गाराम जी के एक बड़े भाई थे जिनका नाम गणेश राम था
वही बहनों का नाम हस्ती देवी और बख्ती देवी था, बहनों की शादी राजोद गाव के नजदीकी गाव रामपुरा के जाखड़ परिवार में हुई यह वही गाव जाखड़ो की ढाणी है जहा jagat Mama पूर्णाराम जी छोड़ ने आखरी साँस ली
Jagat Mama को कहा से मिली प्रेरणा
राजोद व रामपुरा के बड़ेबुज्रंग बताते है की पूर्णाराम को छोटी अवस्था से ही विधार्थियों व छोटे बच्चों से काफी लगाव था, उस समय राजोद के पड़ोसी गाव जायल में सरकारी स्कूल के बच्चों के साथ समय बिताया करते थे इतना ही नहीं वो अपनी उटनी का दूध भी सुबह शाम उन्ही बच्चों को पिला देते थे बस यही शिक्षा संत जगत मामा के शिक्षा के प्रति समर्पित की पहली सीढी थी
पिता का नाम – नानुराम जी छोड़
माता का नाम – मांगी देवी
भाई का नाम – गणेश राम
बहिन का नाम – हस्ती देवी
छोटी बहिन का नाम – बख्ती देवी
विवाह स्थिति – अविवाहित
Jagat Mama के सामाजिक कार्यो की सुरुवात
जगत मामा का अपने जीवन काल में राजस्थान में शिक्षा के क्षेत्र में अतुल्य योगदान रहा है मामा ने इसकी सुरुवात जायल के स्कूल से की थी फिर वही सफ़र नागौर की सीमाओं से बाहर निकला और राजस्थान भर में घुमते रहे, जहा भी जगत मामा को कोई मेघावी या जरूरतमंद बच्चा मिला उसकी पाठ्य पुस्तक, स्कूल फ़ीस या नगद पुरुस्कार के रूप में उन बच्चों की सहायता की
कैसे पड़ा जगत मामा नाम
एक सवाल जो पिछले कई दिनों से बहुत से लोगो के मन में आ रहा है की आखिर जगत मामा का उपनाम Jagat Mama केसे रखा गया, कहते है की जगत मामा सभी बच्चों को भाणिया कहकर पुकारते थे, मारवाड़ी भाषा में भाणिया, बहन के बेटे को कहा जाता है जिसके विपरीत स्कुलो के बच्चे भी पूर्णाराम को मामा कहकर पुकारते थे बस यही से सुरुवात हुई और धीरे धीरे जगत मामा के नाम से पहचानने लगे
Jagat Mama के जीवन का अंतिम पड़ाव
Jagat Mama लगभग 25 वर्ष की उम्र में ही अपना घर परिवार छोड़कर शिक्षा के मंदिरों की और चल पड़े थे, और सारा जीवन एक स्कूल से दूसरी स्कूल के सफ़र व अपने स्कूलों के भाणियों के साथ ही बिताया और सायद ये उनके जीवन का एक सयोंग ही था की अपने जीवन का आखरी समय अपने सगे भांजे जाखड़ परिवार के साथ बिताया
जगत मामा आपने आखरी तीन वर्ष अपनी बहनों के घर रामपुरा गाव में रहे और आखरी साँस वही ली, जगत मामा ने 10 दिन पहले अपने भांजो को बता दिया था की अब मुझे 10वे दिन जाना होगा और उनकी जबान से निकला वचन सत्य साबिद हुआ
Jagat Mama का समाज को संदेश
Jagat Mama के जीवन का एक ही उद्देश्य था शिक्षा का ज्यादा से ज्यादा प्रचार प्रसार करना, इसी पर अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया, उनका आखिरी समय तेजा गायन के साथ बिता
Jagat Mama के कार्य
अपनी उटनी के दूध को स्कूली बचो को पिलाने से सुरु हुई जगत मामा के सामाजिक कार्यो की सुरुवात का क्षेत्र काफी बड़ा व दिल्च्प्स रहा है, पूर्णाराम जी अपनी 300 बीघा पुश्तेनी जमीन गोशाला के नाम कर दी. वही राजस्थान भर के स्कुलो में लगभग 4 करोड़ से भी ज्यादा की राशी बच्चो में बाट दी थी जगत मामा को पढ़ने वाले बच्चो की हेप्ल करने की एसी धुन लगी थी की जब अपनी सारी संपति बेचकर बच्चो में वितरित कर दी तो गावो के सक्षम लोगो से सहायता लेना सुरु कर दिया, उन्होने अपना अधिकतर जीवन स्कुलो और बच्चो के साथ ही बिताया था
जगत मामा को
सीकर से शिक्षा जगत के सितारे पहुचे जगत मामा को श्रदांजली अर्पित करने – देखे वीडियो
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जायल की कॉलेज का नाम जगत मामा के नाम से करने की मुहीम सुरु हुई
जगत मामा का आखरी समय के तीन साल बीमारी के कारण अपनी बहन के घर बिता, जब जगत मामा अपनी सामाजिक कार्यो और शिक्षा में योगदान में सक्रिय रहे तब सोशल मिडिया का जमाना नहीं था, और उन के काम को वो जगह नहीं मिली जो मिलनी चाहिए थी
इसलिए जैसे ही अब उनके स्वर्गवास के बाद बड़े पदों पर आसीन सरकारी अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता, समाज के प्रतिष्ठित लोगो ने अपने विधार्थी जीवन में जगत मामा से मिले पारीतोसिक की बाते लिखने लगे तब वास्तविकता सामने आने लगी,और इसी कड़ी में सीकर से कई शिक्षण सस्थानो से जुड़े बुध्दिजीवियो द्वारा भी रामपुरा जाकर सरकार से ये मांग की गई की जायल की collage का नाम जगत मामा के नाम से किया जाये
Data source for this article 👉 Kailash Jakhar रामपुरा राजोद
Note…. Education सम्बंधित जानकारी जैसे Garment Vacancy Information, परीक्षा की जानकारी, Result के साथ साथ शिक्षा से जुड़ी सरकारी किसी भी योजना या जानकारी के लिए इस Website पर visit करे … 👉 https://studygovtexam.in/
Jagat Mama kon the
Jagat Mama….एक इंशान, जिसने शिक्षा व मानवता को ही, जीवन समर्पित कर दिया. उसी पर अपना सब कुछ न्योछावर किया. जी हा बात कर रहे है जगत मामा की जिन्होंने अपना सारा जीवन और सारी संपति विधार्थियों के नाम कर दी
purna ram chor ka Jagat Mama name kese pda
जगत मामा सभी बच्चों को भाणिया कहकर पुकारते थे, मारवाड़ी भाषा में भाणिया, बहन के बेटे को कहा जाता है जिसके विपरीत स्कुलो के बच्चे भी पूर्णाराम को मामा कहकर पुकारते थे बस यही से सुरुवात हुई और धीरे धीरे जगत मामा के नाम से पहचानने लगे
Jagat Mama ko bccho se etna lgav kyu tha
जगत मामा को पढ़ने वाले बच्चो की हेप्ल करने की एसी धुन लगी थी की वो बच्चों को ईनाम के रूप में उने पेसे, किताबे, और गरीब बच्चों को कपड़े और बेग भो देते है वो चाहते थे की में तो नही पढ़ पाए पर ये सभी पढ़ सके
जायल की कॉलेज का नाम जगत मामा के नाम पर क्यों होना चाहिए
जगत मामा अपनी सामाजिक कार्यो और शिक्षा में योगदान में सक्रिय रहे तब सोशल मिडिया का जमाना नहीं था, और उन के काम को वो जगह नहीं मिली जो मिलनी चाहिए थी कई शिक्षण सस्थानो से जुड़े बुध्दिजीवियो द्वारा भी सरकार से ये मांग की गई की जायल की collage का नाम जगत मामा के नाम होना चाहिए