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Data Risks / आपका डेटा खतरे में, विदेशी कम्पनियों पर है निर्भरता

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Data Risks, क्या आप लोग जानते है की भारत का डेटा खतरे में कैसे है, वर्तमान में हमारी जिन्दगी का हर एक छोटा-बड़ा राज, हर बात, हर फोटो, हर चेट कहाँ जा रही है ? तो चलिए जानते है क्यों है

Data Risks कैसे है

क्या आपको पता है की भारत में Data Risks क्यों है तो जानिए- भारत का सबसे बड़ा सर्च इंजन है – गूगल, सबसे बड़ा मेसेंजर है – व्हाट्सऐप, सबसे बड़ा सोशल मीडिया प्लेटफोर्म है – फेसबुक और वर्तमान में सबसे पॉपुलर चैटबॉट है- चैटजीपीटी

आप सभी को यह सुनने में बड़ा मजेदार लगता होगा लेकिन इस बात पर ध्यान दो की यह सभी कम्पनियां अमेरिकी है और हम सब का डेटा- हमारी चेट , हमारी खोज , हमारी बाते भारत में नही बल्कि विदेशी सर्वरों में स्टोर हो रही है

Data Risks

अब आप कहेंगे की इसमे Data Risks केसे है तो सुनो

1. राष्ट्रीय सुरक्षा का खतरा

हमारे देश के सैनिकों की दिनचर्या, वैज्ञानिकों की खोज, नेताओं की चैट और यहाँ तक कि आम जनता की डिजिटल गतिविधियाँ अगर विदेशी सर्वरों पर स्टोर हैं, तो किसी भी समय यह डेटा हथियार बन सकता है।
सोचो, अगर कोई दुश्मन देश उस डेटा तक पहुँच जाए तो वह हमारे फैसलों, हमारी नीतियों और यहाँ तक कि हमारी सोच तक को प्रभावित कर सकता है।

2. आर्थिक नुकसान

भारत का करोड़ों-करोड़ों लोगों का डेटा विदेश जाता है। इसके दो नुकसान हैं –

1.डेटा की माइनिंग कर के वही विदेशी कंपनियाँ अरबों-खरबों कमाती हैं।

2. भारत के स्टार्टअप्स, जो अपने टेक प्लेटफॉर्म बनाना चाहते हैं, वे पिछड़ जाते हैं।

3.प्राइवेसी का खतरा

आपकी पर्सनल फोटो, आपकी फैमिली चैट, आपके पसंद-नापसंद, सब कुछ वहाँ स्टोर है। और यह डेटा सिर्फ सुरक्षित रखने के लिए नहीं होता, बल्कि हमारी आदतों को समझने और हमें कंट्रोल करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
जो न्यूज़ हमें दिखेगी, कौन-सी शॉपिंग ऐड आएगी, और यहाँ तक कि हमें किस मुद्दे पर गुस्सा करना चाहिए – ये सब एल्गोरिद्म से तय किया जाता है। और इसके लिए इस डाटा का यूज हो सकता है

हम इन खतरों को एक छोटे से उदाहरण के माध्यम से समझ सकते है :

सोचो… अगर कल को कोई दुश्मन देश इस डेटा तक पहुँच जाए, तो उसे पता होगा कि हमारे सैनिक कब ऑनलाइन आते हैं, हमारे नेता किससे चैट कर रहे हैं, हमारी जनता किस बात पर गुस्सा होती है… मतलब, युद्ध से पहले ही हमारी हर चाल उनके हाथ में होगी।
ये सिर्फ टेक्नोलॉजी का मुद्दा नहीं है… ये सीधा-सीधा राष्ट्रीय सुरक्षा का खतरा है।”

ज़रा याद करो – कई बार आपने किसी चीज़ का नाम दोस्तों से बस बातचीत में लिया, और अगले ही दिन उसका ऐड आपके फोन पर दिखने लगा। ये जादू नहीं है – ये वही डेटा है जो आपकी बातें सुनकर, समझकर, बेचकर आपको वापस दिखाया जाता है।

Data Risks से बचने के लिए क्या करे :

Data Risks से बचने का यह मतलब नही की हम गूगल या व्हाट्सऐप का इस्तेमाल करना छोड़ दे, लेकिन हम यह दो कम अवश्य कर सकते है

1. भारत को अपने डेटा सर्वर बनाने होंगे

डेटा अगर भारत में स्टोर होगा, तो हमारी सरकार और हमारी एजेंसियाँ उसकी सुरक्षा कर पाएँगी।

2. स्वदेशी ऐप्स और प्लेटफॉर्म्स को बढ़ावा देना होगा

आज भारत में भी कई सारे अच्छे ऐप्स बने हैं, पर उन्हें मौका और सपोर्ट चाहिए। अगर हम उन्हें इस्तेमाल करना शुरू करेंगे, तो धीरे-धीरे हम आत्मनिर्भर बन सकते हैं।

एक आखिरी बात :

वर्तमान में साइबर वॉर का जमाना है, अब युद्ध सिर्फ बॉर्डर पर नहीं, बल्कि हमारे मोबाइल और लैपटॉप की स्क्रीन पर भी लड़ा जा रहा है,
अगर हम अपने डेटा को सुरक्षित नहीं रखेंगे, तो यह हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए सबसे बड़ा खतरा बन सकता है। इसलिए अगली बार जब आप गूगल पर कुछ सर्च करो, व्हाट्सऐप पर कोई मैसेज भेजो, या फेसबुक पर कोई फोटो डालो… तो एक बार जरूर सोचो – “ये डेटा कहाँ जा रहा है?” क्योंकि डेटा ही आज की सबसे बड़ी ताकत है और जो डेटा पर कंट्रोल करेगा – वही दुनिया पर राज करेगा। Data Risks..

तो दोस्तों, अगर आपको लगता है कि आपको अपने डेटा की रक्षा करनी चाहिए, तो इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करो…
और कमेंट में लिखो – “डेटा भारत में, सुरक्षा भारत की!” 

Frequently Asked Questions (FAQ)

आपका डेटा कहाँ जा रहा है ?

भारत का सबसे बड़ा सर्च इंजन है – गूगल, सबसे बड़ा मेसेंजर है – व्हाट्सऐप, सबसे बड़ा सोशल मीडिया प्लेटफोर्म है – फेसबुक और वर्तमान में सबसे पॉपुलर चैटबॉट है- चैटजीपीटी , यह सभी कम्पनियां अमेरिकी है और हम सब का डेटा- हमारी चेट , हमारी खोज , हमारी बाते भारत में नही बल्कि विदेशी सर्वरों में स्टोर हो रही है

Data Risks से बचने के लिए क्या करना चाहिए ?

1. देश को अपने डेटा सर्वर बनाने होंगे
2. स्वदेशी ऐप्स और प्लेटफॉर्म्स को बढ़ावा देना होगा

विदेशी कम्पनियों पर डेटा निर्भरता के क्या नुकसान हैं ?

1. राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरा
2. डेटा चोरी और हैकिंग की संभावना
3. आर्थिक और तकनीकी निर्भरता

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