Twin Tower- भारत के रियल स्टेट इतिहास में इस घटना को हमेशा याद रखा जाएगा 25 अगस्त 2022 को दोपहर 02.30 उस कहानी का अंत हो गया जिसकी सुरुवात भ्रष्टाचार, लीपापोती और बिल्डर व अधिकारियों के बीच की सांठगांठ से हुई थी साथ ही कई सवाल भी खड़े हुए आज इस आर्टिकल में उन्ही सभी सवालों के जवाब तलासने की कोशिस करेंगे, तो इसको अंत तक जरुर पढ़े
कैसा था ट्विन टावर
Twin Tower.. नोएडा के सेक्टर 93 A में बनी गगन चुम्भी यह इमारत जिसका नाम Twin Tower अपेक्स व सियान टावर था इस में दो टावर थे, जिसमें से एक की ऊंचाई 103 मीटर तथा दूसरे की ऊंचाई 97 मीटर थी यह दोनों क्रमशः 32 फ्लोर और 29 फ्लोर के थे जो की भारत के सबसे ऊंचे टावर में से एक था, इन टावर को सुपरटेक नाम की कंपनी ने बनाया था
Twin Tower Kyon Giraya Gaya
दरअसल यह मामला पर्यावरण से जुड़ा है एमराल्ड कोर्ट सोसाइटी में जिस जगह इस Twin Tower टॉवर का निर्माण किया गया था वह है पहले ग्रीन जोन था उस उस आईटी में घर खरीदने वालों को भी यही बताया गया था यह ग्रीन जोन है इस सोसाइटी में लगभग 650 परिवार रहते हैं इनसे झूठ बोलकर यह निर्माण शुरू किया गया था, इस वजह से इस सोसायटी के लोगों ने इसके खिलाफ आवाज उठाई और कोर्ट में इसके खिलाफ एक लंबी लड़ाई लड़ी आखिरकार कोर्ट का फैसला सोसाइटी के पक्ष में आया और इस सोसाइटी को गिराने का आदेश दिया गया
ट्विन टावर को क्यों गिराया गया
Twin Tower को लेकर कुछ सवाल जो सभी के जेहन में है कि आखिर इस को क्यों गिराया गया क्या एक ऐसी महत्वकांक्षी इमारत जिस पर 70 करोड से ज्यादा का खर्च आ चुका था क्या इस को बचाया नहीं जा सकता था, तो कुछ ऐसे ही सवालों के जवाब
- Twin Tower अपेक्स व सियान के बीच की दूरी बहुत कम थी, इतना ही नहीं इस सोसाइटी के अन्य टावर और इन टावरों के बीच की दूरी भी मात्र 9 मीटर थी जबकि नियमानुसार यह 16 मीटर होनी चाहिए कम दूरी होने पर एक टावर में आग लगने पर वह दूसरे टावर में फैल जाती है. इसलिए भविष्य में होने वाली किसी बड़ी दुर्घटना से बचने के लिए इसको गिराया जा रहा है
- सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट सोसाइटी में पहले ही कई टावर और फ्लैट बनाए जा चुके थे कंपनी के मैप के अनुसार जिस जगह लोन, गार्डन और पार्किंग होना चाहिए था उसी जगह सुपरटेक ने अपने यह अपेक्स व सियान टावर बनाया था इसलिए प्रकृति सुरक्षा व लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए कोर्ट द्वारा इन टॉवर्स को गिराने का फैसला लिया गया
- यह टॉवर्स निर्माणाधीन थे और इनकी उचाई और बढ़नी थी, इस लिए इन्हें अभी गिरना आसन था
Twin Tower का निर्माण कब शुरू हुआ था
Twin Tower – सुपरटेक एमराल्ड के लिए जमीन का आवंटन 23 नवंबर 2004 को हुआ था इस प्रोजेक्ट के लिए नोएडा अथॉरिटी ने सुपरटेक को 84273 वर्ग मीटर जमीन आवंटित की थी, जिस पर ग्राउंड फ्लोर के अलावा 11 मंजिल के 16 टावर्स बनाने की योजना थी. जिस 32 मंजिला अपेक्स और सियान खड़े हैं वहां पर ग्रीन पार्क दिखाया गया था इसके साथ ही यहां पर एक छोटी इमारत बनाने का भी प्रावधान किया गया था यहां तक सब सही था और 2008-09 में इस प्रोजेक्ट को कंपलीशन सर्टिफिकेट भी मिल गया था
ट्विन टावर विवाद कैसे शुरू हुआ
2008 – 09 तक सब कुछ ठीक – ठाक चल रहा था लेकिन इसके बाद उत्तर प्रदेश शासन द्वारा 28 फरवरी 2009 के एफएआर को 33% तक बढ़ाने के नियम ने इस विवाद को पैदा किया, इस नियम के अनुसार अब उसी जमीन पर बिल्डर्स ज्यादा प्लेट्स बना सकते थे इससे सुपरटेक ग्रुप को भी यहां बिल्डिंग की ऊंचाई 24 मंजिल और 73 मीटर तक बढ़ाने की अनुमति मिल गई यहां तक भी सब कुछ ठीक-ठाक था और किसी भी बायर्स ने विरोध नहीं किया, लेकिन इसके बाद तीसरी बार जब फिर से रिवाइज्ड प्लान में इसकी ऊंचाई 40 और गुण 39 मंजिल करने के साथ ही उचाई 121 मीटर तक बढ़ाने की अनुमति मिली तो फिर होम बायर्स ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया
क्या होगा ग्राहकों के पैसों का
अपेक्स टावर 32 फ्लोर का और सियान टावर 29 फ्लोर का था इन दोनों टावर में कुल 915 फ्लैट थे इनमें से 633 फ्लैट बिक चुके थे कंपनी ने इन फ़्लैट बायर्स से 180 करोड़ Payment ले लिया था, जब कोर्ट का फैसला सुपर टेक कंपनी के खिलाफ आया तो कोर्ट ने साथ ही कंपनी को इन फ़्लैट बायर्स को 12% से उनका पैसा लौटाने का फैसला भी दिया
किन किन नियमों को ताक पर रखा गया
सुपरटेक कंपनी द्वारा अपेक्स और सियाने टावर को बनाते वक्त कई नियमों ताक पर रखा गया जिसके चलते यहां के बायर्स ने इसका विरोध शुरू कर दिया
- एक Twin Tower से दूसरे टावर के बीच की दूरी न्यूनतम 16 मीटर होना जरूरी है लेकिन इन टॉवर्स के बीच की दूरी मात्र 9.8 रखी गई थी, ऐसी स्थिति में किसी एक टावर में आग लगने पर उसे दूसरे टावर तक आग पहुंच सकती थी इसलिए बायर्स ने इसका विरोध किया
- सुपरटेक कंपनी ने जब एमराल्ड कोर्ट सोसाइटी शुरू की थी तब अपने ग्राहकों को जहां अपेक्स और सियाने टावर बना रखे हैं वह जगह पार्किंग और लोन के रूप में दिखाई थी
- कंपनी ने जब इन टॉवर्स को बनाना शुरू किया था तब 11 फ्लोर की अनुमति दी गई थी फिर नियमों में कुछ बदलाव के चलते हैं इसकी परमिशन 24 फ्लोर तक हो गई थी, लेकिन सुपरटेक यहीं नहीं रुकी, उसने सभी नियमों को ताक पर रखते हुए इन टॉवर्स को 40 फ्लोर तक ले जाने का फैसला ले लिया हालांकि अभी तक इसके 32 फ्लोर का ही निर्माण हुआ था
क्या पड़ेगा इसका असर
Twin Tower / ट्विन टावर भ्रष्टाचार, लीपापोती और बिल्डर व अधिकारियों के बीच की सांठगांठ का एक जीता जागता उदाहरण है इस सख्त कदम से बिल्डर अधिकारियों में बढ़ा संदेश जाएगा वह ऐसे गलत काम करने से पहले सौ बार सोचेंगे
साथ ही इसे पड़ने वाले असर की कहानी यहीं खत्म नहीं हो जाती है, क्योंकि इस Twin Tower में बहुत से बायर्कास पैसा भी लगा हुआ है हालांकि कोर्ट ने कंपनी को इन बायर्स के पैसे ब्याज सहित लौटाने का आदेश दिया है साथ ही इस टावर को गिराने में लगभग 80000 टन मलवा भी निकलेगा और धुएं का एक बड़ा गुबार जो आसपास में रहने वाले लोगों हुए पेड़ पौधों को काफी नुकसान पहुंचाएगा
Twin Tower Demolition
लगभग 17 साल पहले 2004 में सेक्टर 93A में करीब 48000 वर्ग मीटर का प्लॉट एमराल्ड कोर्ट के नाम से आवंटित हुआ था यहां पर उस समय 14 टावर का नक्शा पास किया गया था उसमें सभी टावर भूतल सहित 9 फ्लोर के बनने थे, लेकिन इसके बाद इसमें मुख्य रूप से तीन अलग-अलग समय पर संशोधन किए गए जिनकी वजह से यह समस्या उत्पन्न हुई. तो आइए जानते हैं यह संशोधन कौन-कौन से थे
- पहला संशोधन – 2006 में पहला संशोधन किया गया जिसमें 6556 वर्ग मीटर जमीन और दी गई अब इसके साथ ही कुल क्षेत्रफल 54000 वर्ग मीटर हो चुका था साथ ही ऊंचाई 9 फ्लोर की जगह बढ़ाकर 11 फ्लोर कर दिया गया इसके अलावा 14 टावर की जगह है दो टावर और 15 व 16 का नक्शा भी पास किया गया, इस प्रकार से अब यहां पर कुल 16 टावर पास किए गए जो 11 फ्लोर के साथ 37 मीटर की ऊंचाई के होने थे
- दूसरा संशोधन – दूसरा संशोधन 2009 में किया गया इसमें एक टावर और बढ़ाया गया और भूतल सहित 24 मंजिल निर्माण का नक्शा पास किया गया इसी के साथ इनकी ऊंचाई 37 मीटर से बढ़कर अब 73 मीटर हो चुकी थी
- तीसरा संशोधन- यह संशोधन 2012 में किया गया इसमें एफएआर बढ़ाया गया और दो टावर (संख्या 16 और 17) की भूतल सहित ऊचाई 40 मंजिल किए जाने की मंजूरी दी गई, इसी के साथ ही इनकी अधिकतम ऊंचाई अब बढ़कर 121 मीटर हो चुकी थी
Kaun Hai Twin Tower ka Malik
एक सवाल जो कि सभी के जेल में है कि आखिर इन ट्विन टावर का मालिक कौन है तो आपको बता दें की एमराल्ड कोर्ट परियोजना में बने ट्विन टावर को बनाने वाली कंपनी सुपरटेक लिमिटेड है यह एक गैर सरकारी कंपनी है जिसकी स्थापना 7 दिसंबर 1995 में की गई थी, सुपरटेक के फाउंडर आरके अरोड़ा है जिनकी वर्तमान में कुल 34 कंपनियां है 1999 में आरके अरोड़ा की पत्नी संगीता अरोड़ा ने एक नई कंपनी सुपरटेक बिल्डर्स एवं प्रमोटर्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम से शुरू की थी यह वही कंपनी है
Twin Tower का निर्माण कब शुरू हुआ था
सुपरटेक एमराल्ड के लिए जमीन का आवंटन 23 नवंबर 2004 को हुआ था,
उम्मीद है यह आर्टिकल आपको अच्छा लगा होगा, आपके किसी भी प्रकार के सुझाव सादर आमंत्रित हैं
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