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चौधरी चरणसिंह की अनसुनी कहानी / Story of Chaudhary Charan Singh

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थाने के मुंशी ने सोचा ये किसान पागलो की तरह हरकते क्यों कर रहा है  लेकिन जब मुंशी ने कागज पर लगी मोहर को नजदीकी से देखा तो मुंशी ही नहीं पूरा थाना सन रह गया, उनके साथ वो  हो चुका था जो शायद उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा… Story of Chaudhary Charan Singh

अगस्त 1979, उत्तर प्रदेश के इटावा जिले का एक पुलिस थाना, शाम के समय की बात है  एक धोती कुर्ता पहने किसान आता है और संत्री से पूछता है कि भैया थानेदार साहब से बात करनी है, जैसे ही किसान ने पूछा संत्री ने कहा कि थानेदार साहब तो राउंड पर गए हुए हैं बताइए क्या बात है किसान कहता हैं कि साहब मेरी जेब काट ली गई है और मैं बहुत परेशान हूं

जैसे ही संत्री ने यह बात सुनी उसने कहा कि ठीक है थोड़ी देर इंतजार कर लो साहब आने ही वाले है किसान इंतजार करने लगा तभी थाने के दरोगा की नजर उस किसान पर पड़ जाती है और किसान को पास बुला लेते है अब किसान के सामने दरोगा जी और इर्दगिर्द और भी कई सिपाही, हेड कांस्टेबल वगैरह खड़े हुए थे

किसान से पूछा गया कि बाबा क्या बात है कैसे परेशान हो रहे हो, अब वो कहते हैं कि साहब मैं मेरठ का रहने वाला हूं और यहां बैल खरीदने के लिए आया था,  मुझे किसी ने बताया कि इस इलाके में बैल बहुत अच्छे मिलते हैं इसलिए बैल खरीदने आया था लेकिन मेरी किसी ने जेब काट ली

Charan Singh

जैसे ही दरोगा ने यह बात सुनी दरोगा ने उसकों डांटना शुरू कर दिया साथ ही पास खड़े सिपाहियों ने भी मजाक का पात्र बनाया, किसान को डराया गया धमकाया गया… अब वो किसान बिल्कुल शांत हो जाता है कहता है कि साहब रिपोर्ट लिख लीजिए मैं अपने घर जाकर क्या जवाब दूंगा मेरे घर वालों को जब पता चलेगा कि मेरी जेब कट गई है तो कम से कम यहां से कुछ कागज लेकर जाऊंगा तो घर वाले शांत हो जाएंगे

किसान को डांटा जाता है फटकारा जाता है तो किसान वहां से हट जाता है हटने के बाद किसान दीवार के सहारे बैठ जाता है किसान इंतजार कर रहा था कि जब थानेदार आएगा तो पूरी कहानी बया करेगा और उसके बाद उसकी रिपोर्ट लिख ली जाएगी तो कम से कम तसल्ली से वह घर चला जाएगा… कुछ समय बीतता है उसके बाद थानेदार भी वापस आ जाते है 

जैसे ही थानेदार साहब आते हैं और उनकी नजर उस किसान पर पड़ती है जिसने मैले कुचले कपड़े पहन थे  थानेदार पूछते है की यह आदमी यहां क्या कर रहा है

तो वहा खड़े सिपाही बताते है की साहब ये किसान है जो मेरठ का रहने वाला बता रहा है कह रहा है की मेरी जेब कट गई है खामखा परेशान कर रखा है तो थानेदार ने उसको अपने कड़क लहझे में समझाया, डांटा फटकारा और फटकारने के बाद घर जाने को बोल दिया 

किसान जैसे ही वहा से जाने लगा तभी पीछे से एक सिपाही किसान के पास पहुंचता है कि बाबा मैं तुम्हें इतनी देर से देख रहा हूं तुम परेशान हो

एक तो तुम इतनी दूर से आये हो ऊपर से आप के साथ इतना बुरा हुआ, इसलिए मुझे आपको देखकर थोड़ा तरस आ रहा है अगर आपको कोई ऐतराज ना हो तो. क्यों ना मैं आपकी रिपोर्ट लिखवाने में मदद कर दूं. किसान ने कहा कि अगर भैया ऐसा हो जाए तो मेरे लिए अच्छा होगा

किसान की जेब में पैसे थोडे ज्यादा थे इसलिए सिपाही ने कहा कि अगर तुम्हें रिपोर्ट लिखनी है तो 100₹ लगेंगे किसान ने कहा मेरी तो पहले से ही  जेब कटी पड़ी है मैं इतने पैसे नहीं दे पाऊंगा… रिपोर्ट लिखनी है तो लिखो नहीं तो मत लिखो…  कुल मिलाकर दोनों  के बीच बातचीत का संवाद शुरू हो जाता है और बात 35रु पर आकर थम जाती है सिपाही कहता है कि आप 35रु  खर्च कर दीजिएगा और मैं आपकी रिपोर्ट लिखवा दूंगा 

अब सिपाही थानेदार के पास जाकर कहता है कि साहब मैंने उस किसान को मना लिया है वह 35 ₹ की रिश्वत दे रहा है और आप उसकी अगर रिपोर्ट लिख लोगे तो उसको कोई दिक्कत या कोई ऐतराज भी नहीं है 

थानेदार कहता है ठीक है तुमने अच्छा काम किया है उस किसान को बुलाओ और मुंशी के पास लेकर जाओ मुंशी उसकी रिपोर्ट लिख लेगा आखिरकार किसान बोलता गया मुंशी लिखता गया जब रिपोर्ट पूरी लिख ली जाती है 

उसके बाद किसान को एक  इंक पैड दि जाती है और अंगूठे का निशान लगाने को कहा जाता है  

अब स्थिति एकदम बदल जाती है किसान कहता है कि साब मुझे पेन दो मैं हस्ताक्षर करूंगा, मुंशी को अजीब तो लगा लेकिन माजरा समझ नहीं आया और उठाकर पेन दे दिया… किसान ने पेन हाथ में लिया और हस्ताक्षर कर दिया, किसान यही नहीं रुका और हस्ताक्षर करने के तुरंत बाद ही अपनी जेब में हाथ डाला और एक मोहर निकाली और अपनी मोहर का ठप्पा भी लगा दिया 

पहले तो मुंशी ने सोचा ये किसान पागलो की तरह हरकते क्यों कर रहा है  लेकिन जब मुंशी ने कागज पर लगी मोहर को नजदीकी से देखा तो मुंशी ही नहीं पूरा थाना सन रह गया, उनके साथ वो  हो चुका था जो शायद उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा… 

वो बार-बार यही सोच रहे थे की यह कैसे सच हो सकता है क्योंकि मोहर पर लिखा था … प्रधानमंत्री भारत सरकार नई दिल्ली

अब यह बात थाने तक ही सीमित नहीं थी बल्कि थाने से बाहर जिले में और जिले से बाहर पूरे देश प्रदेश में फैल चुकी थी, कहते हैं जब यह कहानी अखबारों में छपी तो इसका इतना असर पड़ा कि भ्रष्टाचार के ऐसे मामले काफी कम होने लग गए थे 

अब अगर आप इस कहानी से इतना कुछ जान गए हैं तो शायद यह जानने की जिज्ञासा भी होगी कि आखिर ऐसे प्रधानमंत्री थे कौन तो आपको बता दे कि यह प्रधानमंत्री थे चौधरी चरणसिंह

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Story of Chaudhary Charan Singh

वो देश के महान प्रधानमंत्री जिनका प्रधानमंत्री चौधरी चरणसिंह कार्यकाल 6 महीने से भी कम समय के लिए रहा था, लेकिन उस 6 महीने में किए गए उनके कामों की चर्चाएं आज भी होती है

👉हावड़ा ब्रिज का इतिहास A to Z
👉कहानी सबसे ज्यादा बार हार कर जितने वाले इंसान की
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